Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय जीवन साथी का चयन

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*जीवन साथी का चयन*-- *जीवन की सच्चाई* 🪴🪴🪴
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*एक युवक ने अपने दादाजी से पूछा, ऐसा क्यों होता है कि इंसान प्यार तो किसी और से करता है, लेकिन शादी किसी और से?”*
*प्रश्न सुनकर दादाजी बोले, “बेटा, तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देने के पहले मैं तुम्हें एक काम सौंपता हूँ. फूलों के उपवन में जाओ और सबसे अच्छा गुलाब का फूल चुनकर मेरे लिए लेकर आओ. लेकिन शर्त यह है कि उस गुलाब के फूल का चुनाव तुम्हें एक बार देखकर ही करना होगा. अगर एक बार तुम उसे छोड़कर आगे बढ़ गए, तो फिर वापस लौटकर उस गुलाब के फूल को नहीं चुन सकते*.”

युवक *फूलों के उपवन में चला गया. वहाँ वह गुलाब के फूलों का मुआयना करने लगा. कई गुलाब देखने के बाद उसे एक बहुत ही अच्छा गुलाब का पुष्प दिखाई पड़ी. वह उसे तोड़ने को हुआ, लेकिन तभी उसके मन में विचार आया कि हो सकता है आगे बढ़ने पर उसे इससे भी अच्छा पुष्प मिल जाये. इसलिए वह उसे बिना तोड़े आगे बढ़ गया. कुछ दूर आगे जाने पर उसे एक और अच्छा गुलाब का फूल/पुष्प दिखाई पडा. लेकिन पुनः उसके मन में वही विचार आया कि शायद आगे उसे इससे भी अच्छा गुलाब का पुष्प/फूल मिल जाये और वह फिर से आगे बढ़ गया।*

*इस तरह पूरे उपवन/बाग का भ्रमण कर लेने के बाद भी वह एक भी गुलाब का फूल नहीं तोड़ पाया. बाग/उपवन के अंतिम छोर में पहुँचने पर उसे समझ आया कि जो गुलाब उसे पहले दिखाई पड़े थे, वे बेहतर थे. लेकिन शर्त अनुसार अब वह वापस नहीं जा सकता था. अतः वह खाली हाथ ही अपने दादाजी के पास वापस आ गया. पूछने पर उसने सारा वृतांत सुना दिया*।

दादाजी बोले, बेटा, *जैसी गलती तुमने अभी कुछ देर पहले उपवन/बाग में की, वही गलती प्रेम में पड़ने वाले लोग वास्तविक जीवन में करते हैं. वे और बेहतर की तलाश में उस इंसान को खो देते हैं, जो उनका बेहतरीन साथी हो सकता था.”।*

*तो क्या इसका अर्थ है कि किसी को प्रेम में पड़ना ही नहीं चाहिए?” युवक ने पूछा*।

*दादाजी ने उत्तर दिया, “नहीं, ऐसा नहीं है. कोई भी प्रेम में पड़ सकता है, यदि कोई योग्य व्यक्ति मिल जाये तो. लेकिन जब भी किसी से सच्चे मन से प्रेम करो, तो उसे कभी भी गुस्से, अहंकार और किसी अन्य से तुलना के कारण मत छोड़ो.”।*

*पर ऐसा क्यों होता है दादाजी कि इंसान जिससे प्रेम करता है उसे छोड़कर दूसरे से शादी कर लेता है*.”


*यह प्रश्न सुनकर दादाजी बोले, “इस उत्तर को देने के पहले मैं फिर से तुम्हें एक कार्य सौंपता हूँ. अब तुम एक सूरजमुखी के उपवन में जाओ और सबसे बड़ा सूरजमुखी चुनकर मेरे लिए लेकर आओ. लेकिन इसमें भी शर्त पहले जैसी ही है. सूरजमुखी का चुनाव तुम्हें एक बार देखकर ही करना होगा. अगर एक बार तुम उसे छोड़कर आगे बढ़ गए, तो फिर वापस लौटकर उस सूरजमुखी को नहीं चुन सकते*.”।

*युवक सूरजमुखी के उपवन में चला गया. किंतु इस बार वह सावधान था. उसने वह पहली वाली गलती नहीं दोहराई और उपवन के बीच पहुँचकर* *एक मध्यम आकार का सूरजमुखी तोड़कर वापस आ गया. वापस आकर उसने दादाजी को बताया कि उसने उस सूरजमुखी का चुनाव कैसे किया.*

*दादाजी बोले, “अपने पुराने अनुभव के कारण तुम इस बार खाली हाथ नहीं लौटे. तुमने बस एक ठीक-ठाक आकार का सूरजमुखी का फूल खोजा और यकीन कर लिया कि यही सबसे अच्छा है. वास्तविक जीवन में भी लोग इसी तरह अपने पुराने अनुभव से सीख लेकर अपनी शादी के लिए चुनाव करते है*.”।

*दादाजी की बात सुनकर युवक दुविधा में पड़ गया. उसे दुविधा में देख दादाजी ने  पूछा, “अब तुम्हें कौन सी बात परेशान कर रही है?’*



 *दादाजी आपकी बात सुनने के बाद मैं सोच रहा हूँ कि क्या बेहतर है जिससे प्यार करते हैं, उससे शादी करना या जिससे शादी की है, उससे प्यार करना*?”

*बेटा, ये तो तुम पर निर्भर करता है….”दादाजी ने उत्तर दिया*.

*जीवन में हम जो भी चुनते हैं, उसके साथ हम खुश रहते हैं या नहीं, ये पूर्णतः हम पर निर्भर करता है इसलिए* *चुनाव हमें सोच-समझकर करना होगा अन्यथा हम जीवन भर ये सोचकर पछताते रहेंगे कि काश मैंने कुछ और चुना होता?*
*लेकिन यह भी सच है कि जब तक हम खुद में सच्चे और ईमानदार रहेंगे,हम किसी भी चुनाव में गलत नहीं हो सकते.।*
 
*मेरा मानना है- "" जो जहाँ है,वहीं सुखी है तो वो हर जगह सुखी रहेगा..!!""*
   *🙏🏽🙏🏻🙏🏼जय महावीर*🙏🏿🙏🏾🙏

Sunita gupta Sarita k

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3 Comments

HARSHADA GOSAVI

27-Aug-2023 07:27 AM

nice

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RISHITA

27-Aug-2023 06:12 AM

बढिया

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madhura

19-Aug-2023 06:36 AM

nice

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